
मानव शरीर यूं ही नहीं मिल जाता। मेरा मानना है कि हर किसी का जन्म एक बड़े काम को पूरा करने के लिए होता है। ऐसा ही किताबों में भी लिखा है। किताबों में ये भी लिखा है कि आदमी को सुबह 6 बजे जाग जाना चाहिए। ये पढ़कर मुझे समझ आया कि मेरा जन्म एक न एक दिन सुबह 6 बजे उठ जाने के लिए हुआ है, लेकिन अफसोस ये दुर्लभ घटना आज तक न घट सकी। मंगल धरती से हाथ मिलाकर चला गया। मामा मून, ब्लडी मून, सुपरमून-बैटमून जाने क्या-क्या हो गया। शनि ग्रह के छल्ले परांठे वाली गली तक आकर चाट चख गए, लेकिन मैं छह बजे न जाग सका। मेरे माता-पिता ने भी चाहा था कि उनकी औलाद कभी सुबह 6 बजे उठ जाए। इसके लिए वो अलार्म वाली घड़ी लेकर आए। दुर्भाग्य देखिए, जिस अलार्म की आवाज सुनकर मुझे उठना था, जब वो बजता तो उसकी स्वर लहरियों में मुझे और मीठी नींद आने लग जाती। अलार्म की आवाज मेरे लिए वही काम करती है, जैसे आजकल मच्छरों के काम मच्छरमार अगरबत्तियां आ रही हैं। भारत में टेलीकॉम क्रान्ति हुई, लगे हाथ टूजी घोटाला भी हुआ। वीरेंद्र सहवाग की मुठ्ठी के बाद हर हाथ फोन पहुंचा और उसके अलार्म में मनचाही धुन लगाने की सुविधा...
आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
from दैनिक भास्कर https://ift.tt/2Ol1enD
No comments:
Post a Comment